बाबा जोगी एक अकेला, जाके तीरथ बरत न मेला। झोली पत्र बिभूति न बटवा, अनहद बैन बजावे। मांगि न खाइ न भूखा सोवे, घर अंगना फिरि आवे। पांच जना की जमाति चलावे, तास गुरू मैं चेला। कहे कबीर उनि देसि सिधाये बहुरि न इहि जग मेला।
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हां, आज ही, जरूर आयें
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राजेश उत्साही लम्बे समय से रचना कर्म से जुड़े हुए हैं। उन्होंने मप्र की अग्रणी शै क्षिक संस्था एकलव्य में 1982 से 2008 तक कार्य किया। स...
बधाई!!
जवाब देंहटाएंBahut badhiya!
जवाब देंहटाएंबधाई
जवाब देंहटाएंसमकालीन सरोकार के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनायें !
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