सर्वत जमाल पानी में आग बोने वाले शायर हैं| जिनका भी गजलों की दुनिया से साबका है, वे उन्हें अच्छी तरह जानते हैं| जिन्दगी कभी-कभी बहुत कठिन हो जाती है, आदमी घुटने टेकने के हालात में पहुँच जाता है लेकिन जिसने हमेशा ऐसी कठिन जिन्दगी अपने लिए चुन ली हो या जिसे परिस्थितियों ने झंझावातों में धकेल दिया हो फिर भी जो पराजय के ख्याल के बिना लड़ रहा हो, उसका नाम है सर्वत जमाल| गोरखपुर में जन्मे इस शायर ने अपनी जिन्दगी की शुरुआत पत्रकारिता से की पर वह रास्ता लम्बा नहीं चल सका| आजकल वे जिन्दगी चलाने के लिए परेशान हाल लोगों को जिन्दगी को समझने, स्वस्थ रहने और कठिनाइयों का जमकर मुकाबला करने के सलाह-मशवरे देने का काम करते हैं| उनकी कुछ गजलें पेश हैं....
1.
एक एक जहन पर वही सवाल है
लहू लहू में आज फिर उबाल है
इमारतों में बसने वाले बस गए
मगर वो जिसके हाथ में कुदाल है ?
उजाले बाँटने की धुन तो आजकल
थकन से चूर चूर है, निढाल है
तरक्कियां तुम्हारे पास हैं तो हैं
हमारे पास भूख है, अकाल है
कलम का सौदा कीजिये, न चूकिए
सुना है कीमतों में फिर उछाल है
गरीब मिट गये तो ठीक होगा सब
अमीरी इस विचार पर निहाल है
तुम्हारी कोशिशें कुछ और थीं, मगर
हम आदमी हैं, यह भी इक कमाल है
1.
एक एक जहन पर वही सवाल है
लहू लहू में आज फिर उबाल है
इमारतों में बसने वाले बस गए
मगर वो जिसके हाथ में कुदाल है ?
उजाले बाँटने की धुन तो आजकल
थकन से चूर चूर है, निढाल है
तरक्कियां तुम्हारे पास हैं तो हैं
हमारे पास भूख है, अकाल है
कलम का सौदा कीजिये, न चूकिए
सुना है कीमतों में फिर उछाल है
गरीब मिट गये तो ठीक होगा सब
अमीरी इस विचार पर निहाल है
तुम्हारी कोशिशें कुछ और थीं, मगर
हम आदमी हैं, यह भी इक कमाल है
कभी आका कभी सरकार लिखना
हमें भी आ गया किरदार लिखना
ये मजबूरी है या व्यापार , लिखना
सियासी जश्न को त्यौहार लिखना
हमारे दिन गुज़र जाते हैं लेकिन
तुम्हें कैसी लगी दीवार, लिखना
गली कूचों में रह जाती हैं घुट कर
अब अफवाहें सरे बाज़ार लिखना
तमांचा सा न जाने क्यों लगा है
वतन वालों को मेरा प्यार लिखना
ये जीवन है कि बचपन की पढाई
एक एक गलती पे सौ सौ बार लिखना
कुछ इक उनकी नज़र में हों तो जायज़
मगर हर शख्स को गद्दार लिखना ?
हमें भी आ गया किरदार लिखना
ये मजबूरी है या व्यापार , लिखना
सियासी जश्न को त्यौहार लिखना
हमारे दिन गुज़र जाते हैं लेकिन
तुम्हें कैसी लगी दीवार, लिखना
गली कूचों में रह जाती हैं घुट कर
अब अफवाहें सरे बाज़ार लिखना
तमांचा सा न जाने क्यों लगा है
वतन वालों को मेरा प्यार लिखना
ये जीवन है कि बचपन की पढाई
एक एक गलती पे सौ सौ बार लिखना
कुछ इक उनकी नज़र में हों तो जायज़
मगर हर शख्स को गद्दार लिखना ?
3.
एक ही आसमान सदियों से
चंद ही खानदान सदियों से
धर्म, कानून और तकरीरें
चल रही है दुकान सदियों से
काफिले आज तक पड़ाव में हैं
इतनी लम्बी थकान, सदियों से !
सच, शराफत, लिहाज़, पाबंदी
है न सांसत में जान सदियों से
कोई बोले अगर तो क्या बोले
बंद हैं सारे कान सदियों से
कारनामे नजर नहीं आते
उल्टे सीधे बयान सदियों से
फायदा देखिये न दांतों का
क़ैद में है जबान सदियों से
झूठ, अफवाहें हर तरफ सर्वत
भर रहे हैं उडान सदियों से
एक ही आसमान सदियों से
चंद ही खानदान सदियों से
धर्म, कानून और तकरीरें
चल रही है दुकान सदियों से
काफिले आज तक पड़ाव में हैं
इतनी लम्बी थकान, सदियों से !
सच, शराफत, लिहाज़, पाबंदी
है न सांसत में जान सदियों से
कोई बोले अगर तो क्या बोले
बंद हैं सारे कान सदियों से
कारनामे नजर नहीं आते
उल्टे सीधे बयान सदियों से
फायदा देखिये न दांतों का
क़ैद में है जबान सदियों से
झूठ, अफवाहें हर तरफ सर्वत
भर रहे हैं उडान सदियों से
4.
हवा पर भरोसा रहा
बहुत सख्त धोखा रहा
जो बेपर के थे, बस गए
परिंदा भटकता रहा
कसौटी बदल दी गयी
खरा फिर भी खोटा रहा
कई सच तो सड़ भी गए
मगर झूठ बिकता रहा
मिटे सीना ताने हुए
जो घुटनों के बल था, रहा
कदम मैं भी चूमा करूं
ये कोशिश तो की बारहा
चला था मैं ईमान पर
कई रोज़ फाका रहा
संपर्क --05224105763
बहुत सख्त धोखा रहा
जो बेपर के थे, बस गए
परिंदा भटकता रहा
कसौटी बदल दी गयी
खरा फिर भी खोटा रहा
कई सच तो सड़ भी गए
मगर झूठ बिकता रहा
मिटे सीना ताने हुए
जो घुटनों के बल था, रहा
कदम मैं भी चूमा करूं
ये कोशिश तो की बारहा
चला था मैं ईमान पर
कई रोज़ फाका रहा
संपर्क --05224105763