1.
हाँ जी, इन दिनों हम
प्यार
में हैं
प्यार
में हैं
अब यह मत पूछिएगा कि
किसके
हवाओं के, चांदनी के या
रेत के
बस प्यार है और हम
लिखते चल
रहे हैं कोई नाम
जहाँ-तहाँ और उसके आजू
बाजू
लिख दे रहे हैं पवित्र
मासूम निर्दोष
और यह सोचते हैं कि ये
उसे ज़ाहिर कर देंगे या
ढंक लेंगे
आजकल कभी भी खटखटा देते
हैं
एक दूसरे का हृदय
और हड़बड़ाए से कह
बैठते हैं
लगता है बेवक़्त आ गए
और ऐसा कहते हुए समाते
चले
जाते हैं
एक दूसरे के भीतर
फिर अचानक ख़ुद को
समेटते
चल देते हैं झटके से
कि फिर बात करते हैं
कि एक पूछता है
अरे, आपका कुछ छूटा जा
रहा है यहाँ
कोई दिल-विल-सा तो
नहीं
नहीं वह आपका ही है
मेरे तो किसी काम का
नहीं
ऐसा कहता मन मसोसता
झटके से छुपा लेता है
उसे मन
कभी यूँ ही बज उठता है
मोबाइल
पता चलता है ग़लती से दब
गया
था नंबर
कि घंटी बजती है दिमाग
की
वह लगता है चीख़ने
संभलो दिल दिल दिल
कि हत्था मार बंद करता
उसका हंगामा...
किसके
हवाओं के, चांदनी के या
रेत के
बस प्यार है और हम
लिखते चल
रहे हैं कोई नाम
जहाँ-तहाँ और उसके आजू
बाजू
लिख दे रहे हैं पवित्र
मासूम निर्दोष
और यह सोचते हैं कि ये
उसे ज़ाहिर कर देंगे या
ढंक लेंगे
आजकल कभी भी खटखटा देते
हैं
एक दूसरे का हृदय
और हड़बड़ाए से कह
बैठते हैं
लगता है बेवक़्त आ गए
और ऐसा कहते हुए समाते
चले
जाते हैं
एक दूसरे के भीतर
फिर अचानक ख़ुद को
समेटते
चल देते हैं झटके से
कि फिर बात करते हैं
कि एक पूछता है
अरे, आपका कुछ छूटा जा
रहा है यहाँ
कोई दिल-विल-सा तो
नहीं
नहीं वह आपका ही है
मेरे तो किसी काम का
नहीं
ऐसा कहता मन मसोसता
झटके से छुपा लेता है
उसे मन
कभी यूँ ही बज उठता है
मोबाइल
पता चलता है ग़लती से दब
गया
था नंबर
कि घंटी बजती है दिमाग
की
वह लगता है चीख़ने
संभलो दिल दिल दिल
कि हत्था मार बंद करता
उसका हंगामा...
2.
कैसी हैं आप
फोन पर
पूछता है कोई
क्या ...
हकलाती हूं मैं ...
ठीक हूं
ठीक तो हूं...
आप ठीक हैं ना ...
मैं कुछ कहता
कि ...
शिराओं का रक्त
उलीचने लगा
नमक और जल
आंसुओं की बाढ़ ने
हुमककर कहा
हां ... हां...
ठीक हूं बिल्कुल...
उसने कहा ...
कुछ सुनाई नहीं दे रहा
साफ
ओह ... हां ...
आंसू तो आंखों की भाषा है
आंखवालों के लिए है
कानों के लिए तो
सस्वर पाठ करना होगा
आंसुओं का ....
3.
फोन पर
पूछता है कोई
क्या ...
हकलाती हूं मैं ...
ठीक हूं
ठीक तो हूं...
आप ठीक हैं ना ...
मैं कुछ कहता
कि ...
शिराओं का रक्त
उलीचने लगा
नमक और जल
आंसुओं की बाढ़ ने
हुमककर कहा
हां ... हां...
ठीक हूं बिल्कुल...
उसने कहा ...
कुछ सुनाई नहीं दे रहा
साफ
ओह ... हां ...
आंसू तो आंखों की भाषा है
आंखवालों के लिए है
कानों के लिए तो
सस्वर पाठ करना होगा
आंसुओं का ....
3.
कुछ बूंदें टपका...
हल्की हो गई...
कि
कुछ हुआ ही ना हो...
फिर कुछ सुना...
फिर याद किया किसी को...
पर नहीं आए आँसू
फिर
गुज़र गई रात भी
गहरी नींद थी
स्वप्नहीन
सुबह जगी
तरोताज़ा
क़िताबें पढ़ीं.............
नहीं
अब यादें शेष नहीं
वाह - जादू हो गया आज
मुक्त हो गई वह तो...........
फिर बैठ गई कुर्सी पर
तभी दूर आकाश में
यूकेलिप्टस हिले
कि जाने कहाँ से फिर
छाने लगी धुंध
और छाती चली गई...
हल्की हो गई...
कि
कुछ हुआ ही ना हो...
फिर कुछ सुना...
फिर याद किया किसी को...
पर नहीं आए आँसू
फिर
गुज़र गई रात भी
गहरी नींद थी
स्वप्नहीन
सुबह जगी
तरोताज़ा
क़िताबें पढ़ीं.............
नहीं
अब यादें शेष नहीं
वाह - जादू हो गया आज
मुक्त हो गई वह तो...........
फिर बैठ गई कुर्सी पर
तभी दूर आकाश में
यूकेलिप्टस हिले
कि जाने कहाँ से फिर
छाने लगी धुंध
और छाती चली गई...
सम्पर्क - ई-मेल-arunarai2010@gmail.com
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