आप जानते हैं नीरज गोस्वामी को? अगर आप की दिलचस्पी शायरी में, कविता में है तो जरूर जानते होंगे| चौदह अगस्त उन्नीस सौ पचास को पठानकोट, जम्मू में जन्मे| वे खुद कहते हैं, याने हम ताज़ा ताज़ा सठियाये हैं| स्थाई निवास जयपुर में| इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, वर्तमान में भूषण स्टील लिमिटेड खोपोली, खंडाला के पास, में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं| साहित्य, सिनेमा, संगीत ,क्रिकेट, भ्रमण में रूचि है| साखी के लिए जब मैंने नीरज जी से परिचय माँगा तो उन्होंने सिर्फ इतना ही भेजा| मुझे लगा लोग कुछ और जानना चाहेंगे तो मैंने विस्तार से लिखने को कहा| पढ़िए उन्होंने क्या लिखा... भाई जान परिचय में क्या जानना चाहते हैं ये तो बताइए और वैसे भी परिचय पढ़ने की फुर्सत किसे होती है आज के ज़माने में। कोई फोटो देख ले वो ही गनीमत समझो फिर भी अगर आप कुछ विशेष जानकारी चाहते हैं तो लिख भेजें। अब और क्या परिचय दें सिवा इसके कि हमने शायरी अभी पिछले तीन साल से लिखनी शुरू की जबकि पढ़नी पचास साल पहले ही कर दी थी। इस लायक कभी कुछ लिखा नहीं कि उसे किसी रिसाले या अखबार में छपने के लिए भेजते। किताब छपवाने जैसी खतरनाक बात कभी सोची नहीं, ये सोच कर कि अगर कभी खुदा न खास्ता छप गयी तो पढ़ेगा कौन? पहले जब गज़लें लिखता था तो अपनी एक मात्र बीवी की शराफत का नाजायज फायदा उठा कर उसको सुनाया करता था, क्यूँ कि बेटा बहू ने पहले ही कह दिया था कि पापा गाली दे दो लेकिन ग़ज़ल मत सुनाना। गरीब मजलूम बीवी के हमारी गज़लें सुनते-सुनते जब कान पकने लगे, सब्र का बाँध टूटता नज़र आया और बात तलाक तक पहुँचने की नौबत आ गयी तो एक शरीफ मित्र ने समझाया कि भाई काहे नाहक सीधी-सादी एक मात्र बीवी की जान के पीछे पड़े हो| तुम्हारी ग़ज़लें यूँ तो कोई सुनेगा नहीं| ऐसा करो एक ब्लॉग खोलो और उस पर डाल दो| अगर कोई पढ़ कर नाराज़ भी हुआ तो ज्यादा से ज्यादा एक आध गाली लिख देगा लेकिन तुम्हारा घर तो नहीं टूटेगा। तब से अब तक ब्लॉग के माध्यम से भडांस निकल रहे हैं। और क्या बताएं...? भाई मैं तो इस भड़ास में गजल देखता हूँ| लीजिये उनकी भड़ास के चार अदद टुकड़े पेश हैं---
मान लूँ मैं ये करिश्मा प्यार का कैसे नहीं
वो सुनाई दे रहा सब जो कहा तुमने नहीं
इश्क का मैं ये सलीका जानता सब से सही
जान दे दो इस तरह की हो कहीं चरचे नहीं
तल्ख़ बातों को जुबाँ से दूर रखना सीखिए
घाव कर जाती हैं गहरे जो कभी भरते नहीं
अब्र लेकर घूमता है ढेर-सा पानी मगर
फ़ायदा कोई कहाँ गर प्यास पे बरसे नहीं
छोड़ देते मुस्कुरा कर भीड़ के संग दौड़ना
लोग ऐसे ज़िंदगी में हाथ फिर मलते नहीं
खुशबुएँ बाहर से 'नीरज' लौट वापस जाएँगी
घर के दरवाज़े अगर तुमने खुले रक्खे नहीं
था अपना ही साथी प्यारे
सच्चा तो सूली पर लटके
लुच्चे को है माफी प्यारे
उल्टी सीधी सब मनवा ले
रख हाथों में लाठी प्यारे
सोचो क्या होगा गुलशन का
माली रखते आरी प्यारे
इक तो राहें काटों वाली
दूजे दुश्मन राही प्यारे
भोला कहने से अच्छा है
दे दो मुझको गाली प्यारे
मन अमराई यादें कोयल
जब जी चाहे गाती प्यारे
तेरी पीड़ा से वो तड़पे
तब है सच्ची यारी प्यारे
तन्हा जीना ऐसा "नीरज"
ज्यूं बादल बिन पानी प्यारे
१.
मान लूँ मैं ये करिश्मा प्यार का कैसे नहीं
वो सुनाई दे रहा सब जो कहा तुमने नहीं
इश्क का मैं ये सलीका जानता सब से सही
जान दे दो इस तरह की हो कहीं चरचे नहीं
तल्ख़ बातों को जुबाँ से दूर रखना सीखिए
घाव कर जाती हैं गहरे जो कभी भरते नहीं
अब्र लेकर घूमता है ढेर-सा पानी मगर
फ़ायदा कोई कहाँ गर प्यास पे बरसे नहीं
छोड़ देते मुस्कुरा कर भीड़ के संग दौड़ना
लोग ऐसे ज़िंदगी में हाथ फिर मलते नहीं
खुशबुएँ बाहर से 'नीरज' लौट वापस जाएँगी
घर के दरवाज़े अगर तुमने खुले रक्खे नहीं
२.
जड़ जिसने थी काटी प्यारे था अपना ही साथी प्यारे
सच्चा तो सूली पर लटके
लुच्चे को है माफी प्यारे
उल्टी सीधी सब मनवा ले
रख हाथों में लाठी प्यारे
सोचो क्या होगा गुलशन का
माली रखते आरी प्यारे
इक तो राहें काटों वाली
दूजे दुश्मन राही प्यारे
भोला कहने से अच्छा है
दे दो मुझको गाली प्यारे
मन अमराई यादें कोयल
जब जी चाहे गाती प्यारे
तेरी पीड़ा से वो तड़पे
तब है सच्ची यारी प्यारे
तन्हा जीना ऐसा "नीरज"
ज्यूं बादल बिन पानी प्यारे
गूगल से साभार |
३.
तीर खंजर की ना अब तलवार की बातें करें
जिन्दगी में आइये बस प्यार की बातें करें
टूटते रिश्तों के कारण जो बिखरता जा रहा
अब बचाने को उसी घर बार की बातें करें
थक चुके हैं हम बढ़ा कर यार दिल की दूरियां
छोड़ कर तकरार अब मनुहार की बातें करें
दौड़ते फिरते रहें पर ये ज़रुरी है कभी
बैठ कर कुछ गीत की झंकार की बातें करें
तितलियों की बात हो या फिर गुलों की बात हो
क्या जरुरी है कि हरदम खार की बातें करें
कोई समझा ही नहीं फितरत यहां इन्सान की
घाव जो देते वही उपचार की बातें करें
काश 'नीरज' हो हमारा भी जिगर इतना बड़ा
जेब खाली हो मगर सत्कार की बातें करें
हौसलों की हमारे ये पहचान है
लाख कोशिश करो आके जाती नहीं
याद इक बिन बुलाई सी महमान है
खिलखिलाता है जो आज के दौर में
इक अजूबे से क्या कम वो इंसान है
ज़र ज़मीं सल्तनत से ही होता नहीं
जो दे भूखे को रोटी, वो सुलतान है
मीर, तुलसी, ज़फ़र, जोश, मीरा, कबीर
दिल ही ग़ालिब है और दिल ही रसखान है
पांच करता है जो, दो में दो जोड़ कर
आजकल सिर्फ उसका ही गुणगान है
ढूंढ़ता फिर रहा फूल पर तितलियां
शहर में वो नया है या नादान है
गर न समझा तो नीरज बहुत है कठिन
जान लो ज़िन्दगी को तो आसान है
संपर्क
neeraj1950@gmail.com,
ब्लाग
http://ngoswami.blogspot.com/
फोन : 9860211911
पता: नीरज गोस्वामी द्वारा भूषण स्टील लिमिटेड , 608, रीजेंट चेम्बर्स, नरीमन पोआइंट, मुंबई -400021
तीर खंजर की ना अब तलवार की बातें करें
जिन्दगी में आइये बस प्यार की बातें करें
टूटते रिश्तों के कारण जो बिखरता जा रहा
अब बचाने को उसी घर बार की बातें करें
थक चुके हैं हम बढ़ा कर यार दिल की दूरियां
छोड़ कर तकरार अब मनुहार की बातें करें
दौड़ते फिरते रहें पर ये ज़रुरी है कभी
बैठ कर कुछ गीत की झंकार की बातें करें
तितलियों की बात हो या फिर गुलों की बात हो
क्या जरुरी है कि हरदम खार की बातें करें
कोई समझा ही नहीं फितरत यहां इन्सान की
घाव जो देते वही उपचार की बातें करें
काश 'नीरज' हो हमारा भी जिगर इतना बड़ा
जेब खाली हो मगर सत्कार की बातें करें
४.
दर्द दिल में मगर लब पे मुस्कान है हौसलों की हमारे ये पहचान है
लाख कोशिश करो आके जाती नहीं
याद इक बिन बुलाई सी महमान है
खिलखिलाता है जो आज के दौर में
इक अजूबे से क्या कम वो इंसान है
ज़र ज़मीं सल्तनत से ही होता नहीं
जो दे भूखे को रोटी, वो सुलतान है
मीर, तुलसी, ज़फ़र, जोश, मीरा, कबीर
दिल ही ग़ालिब है और दिल ही रसखान है
पांच करता है जो, दो में दो जोड़ कर
आजकल सिर्फ उसका ही गुणगान है
ढूंढ़ता फिर रहा फूल पर तितलियां
शहर में वो नया है या नादान है
गर न समझा तो नीरज बहुत है कठिन
जान लो ज़िन्दगी को तो आसान है
संपर्क
neeraj1950@gmail.com,
ब्लाग
http://ngoswami.blogspot.com/
फोन : 9860211911
पता: नीरज गोस्वामी द्वारा भूषण स्टील लिमिटेड , 608, रीजेंट चेम्बर्स, नरीमन पोआइंट, मुंबई -400021