अशोक रावत की गज़लें
साखी के अगले अंक में
रविवार 8 जुलाई को।
कविता, उसके स्वरुप, जीवन में उसकी जरूरत पर कवि की टिप्पणी के साथ।
साखी के अगले अंक में
रविवार 8 जुलाई को।
कविता, उसके स्वरुप, जीवन में उसकी जरूरत पर कवि की टिप्पणी के साथ।
बाबा जोगी एक अकेला, जाके तीरथ बरत न मेला। झोली पत्र बिभूति न बटवा, अनहद बैन बजावे। मांगि न खाइ न भूखा सोवे, घर अंगना फिरि आवे। पांच जना की जमाति चलावे, तास गुरू मैं चेला। कहे कबीर उनि देसि सिधाये बहुरि न इहि जग मेला।
विजय नरेश की स्मृति में आज कहानी पाठ कैफी आजमी सभागार में शाम 5.30 बजे जुटेंगे शहर के बुद्धिजीवी, लेखक और कलाकार विजय नरेश की स्मृति में ...
प्रतीक्षा करूँगा....
जवाब देंहटाएंशोक रहित आवत वारों को सुभाष नियोता पियारो लागे.
प्रतीक्षा है !
जवाब देंहटाएंमुझे भी प्रतीक्षा रहेगी।
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