मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017

ढाई आखर सबक सिखावे से, जीभ विद्वान के खियात नहीं




साहित्यकारों को शब्द से आगे निकलना पड़ेगा :सुभाष राय

महानगरीय साहित्यकार गोष्ठियों में गप्प मारते है: प्रो0 देवेन्द्र

ललिता तिवारी स्मृति न्यास के बैनर तले आयोजित
साहित्यिक समागम में नामचीन हस्तियों का जमावड़ा
जाहिल सुल्तानपुरी एवं ताबिश सुल्तानपुरी  की कृतियों का हुआ सम्मान
राजनीति की ठगी को उजागर करने वाले कवि है-जाहिल
"दोपहर का फूल" एवं "ढाई आखर" कृति का विमोचन

ललिता तिवारी स्मृति न्यास द्वारा सुल्तानपुर के वृन्दावन सभागार में जिले के मशहूर शायर जाहिल सुल्तानपुरी के "अदबी सफर के पचास साल" पूरे होने पर आयोजित सम्मान व विमोचन समारोह में साहित्य प्रेमियों का जमावड़ा रहा। इस मौके पर मशहूर शायर लेखक ताबिश सुल्तानपुरी की रचना "दोपहर का फूल"उर्दू से हिंदी अनुबाद एवं जाहिल सुल्तानपुरी की रचना "ढाई आखर" का बिमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
           कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पधारे जनसंदेश टाइम्स के समूह संपादक कवि हृदय सुभाष राय ने कहा कि आज बाजार के उजाले में बड़ा गहरा अंधेरा है, एक शायर इसी की पहचान करता है।जाहिल और ताबिश ने इन्हीं अंधेरे को पहचान कर रोशनी फैलाने का काम किया है।मुख्य अतिथि ने कहा कि कागज पर आग लिखने से आग नहीं लगती,आग के लिये सामग्री जुटानी पड़ती है। इसलिये आज के साहित्यकारों को शब्द से आगे निकलना पड़ेगा। जनता के आन्दोलन के साथ साहित्यकारों को खड़ा होना चाहिये।श्री राय ने जाहिल सुल्तानपुरी को राजनीति की ठगी को उजागर करने वाला कवि बताते हुए कहा कि जाहिल जनता को प्रेम करना सिखाते है।समारोह में साहित्यिक जगत के अलावा विभिन्न क्षेत्र की नामचीन हस्तियों की मौजूदगी से गदगद मुख्य अतिथि राय जी यह कहने से नही चूके कि सुल्तानपुर हमारे लिए तीर्थ जैसा है।यहाँ आकर मैं मौन रहकर लोगो को सुनना चाहता हूँ।उन्होंने प्रख्यात समाजसेवी करतार केशव यादव का भी जिक्र किया।

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि शकुन्तला मिश्र विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रोफेसर डी.एन.सिंह ने कहा कि सुल्तानपुर की चेतना महानगरीय साहित्यकारों से बहुत आगे है।महानगरीय साहित्यकार गोष्ठियों के नाम पर गप्प मारते है और छोटे शहरों के लोग साहित्य को हर पल जीते है एवं गोष्ठियों में गम्भीर रहते है।श्री सिंह ने कहा कि आज साहित्य जनता से कट गया है। हिंदी के बड़े प्रकाशको पर महानगरो के लेखको का अधिपत्य बढ़ गया है। कस्बाई साहित्यकारो को अगर जगह मिल जाय तो हिंदी का भाग्य उदय हो जायेगा। उन्होंने कहा कि ताबिश सुलतानपुरी की पुस्तक को देवनागरी लिपि में प्रस्तुत करके सुलतानपुर ने साहित्य पर बड़ा उपकार किया है। जाहिल सुलतानपुरी पर अब साहित्य के आलोचकों का ध्यान जा रहा है यह काफी महत्त्वपूर्ण है ।

कृति पर चर्चा करते हुए आलोचक केएनआई महाविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ.राधेश्याम सिंह ने कहा कि जाहिल शब्दों के खिलाड़ी नहीं है, लेकिन लोकतत्व पर उनकी पकड़ जबरदस्त है । जाहिल की रचनाओं का सही मूल्यांकन तब होगा जब उनकी प्रौढ़ रचनायें सामने आ जाएंगी।उन्होंने कहा कि हिन्दी में ताबिश की रचनाओं के सामने आने से उनकी रचनाधर्मिता का विस्तार हुआ है।श्री सिंह ने कहा कि ठेठ अंदाज में अपनी बात कहना उनकी विशेषता रही, शब्दों को वे जीना जानते है।जाहिल ने कभी अपने को बड़ा घोषित नही किया।
अवधी साहित्यकार जगदीश पीयूष ने कहा कि जाहिल सुल्तानपुरी सामाजिक विसंगतियों को उजागर करने वाले कवि है।
इससे पूर्व अदबी सफर के पचास साल पूरा करने पर जाहिल सुल्तानपुरी को ललिता तिवारी स्मृति न्यास  की तरफ से पच्चीस हजार रुपये की धनराशि,सम्मान पत्र,अंगवस्त्रम् आदि उपहार देकर मुख्य अतिथि सम्पादक सुभाष राय , प्रोफेसर देवेन्द्र,वरिष्ठ पत्रकार राज खन्ना,सत्यदेव तिवारी,कार्यक्रम अध्यक्ष त्रिभुवन नाथ चौबे व डॉ राधेश्याम सिंह द्वारा जाहिल सुलतानपुरी का सम्मान किया गया ।
स्व. ताबिश सुलतानपुरी को याद करते हुये उनकी कृति का भी सम्मान किया गया।यह सम्मान ताबिश के पुत्र अंजुम फरोग सिद्दीकी ने प्रोफेसर देवेन्द्र और संपादक सुभाष राय से सम्मान पत्र ,अंगवस्त्रम और उपहार प्राप्त किये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जाहिल सुल्तानपुरी के गुरु डॉ त्रिभुवन नाथ चौबे ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि गुरु शिष्य से हारना चाहता है।जाहिल को आगे जाता देखकर प्रसन्नता है।उनका प्रगाढ़ प्रेम ही मुझे इस उम्र में भी आने को विवश किया। कार्यक्रम अध्यक्ष ने जाहिल के कालेज में बिताये दिनों को स्मृतियाँ भी ताजा करते हुए कहा कि भारत की साझा संस्कृति में आस्था रखने वाले जाहिल सुल्तानपुरी सर्व धर्म समभाव के अलंबरदार है।
समारोह में डॉ.ए.के.सिंह ,डॉ रमेश ओझा, डॉ सुधाकर सिंह ,डॉ.दीपक मल्होत्रा , डॉ.राजेन्द्र कपूर ,डॉ.सुभाष, समाजसेवी करतार केशव यादव, छत्तीसगढ़ के यूनीवार्ता प्रभारी अशोक साहू, सत्य नरायन रावत,सरदार बलदेव सिंह, डॉ. आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप',डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय, युवा साहित्यकार ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ,डॉ. ओंकार नाथ द्विवेदी,सपा जिलाध्यक्ष प्रो0राम सहाय यादव,वरिष्ठ भाजपा नेता डा.एम.पी.सिंह सहित विभिन्न क्षेत्रो की नामचीन हस्तियां मौजूद रही।

कार्यक्रम के अंत में सुल्तानपुर जिले के अलावा पड़ोसी जनपदों फैजाबाद प्रतापगढ़ अमेठी जिलों से आये कवियों ने भी जाहिल सुल्तानपुरी के सम्मान में अपनी अपनी रचनाओं के माध्यम से कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया।
कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार राजखन्ना ने किया।अंत में ललिता तिवारी न्यास के कर्ता वरिष्ठ पत्रकार सत्यदेव तिवारी ने सभी के प्रति आभार जताया।




2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (18-10-2017) को
    "मधुर-मधुर मेरे दीपक जल" चर्चामंच 2761
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    पंच पर्वों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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हां, आज ही, जरूर आयें

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