tag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post2263313069917669531..comments2023-07-07T15:27:40.554+05:00Comments on समकालीन सरोकार : नीरज गोस्वामी की गजलें Subhash Raihttp://www.blogger.com/profile/15292076446759853216noreply@blogger.comBlogger99125tag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-16456250178281529572019-01-11T18:19:33.333+05:002019-01-11T18:19:33.333+05:00mai inhe abtak nahin janta tha lekin ab jaan gya h...mai inhe abtak nahin janta tha lekin ab jaan gya hun inki gajale sach me bahut shandaR HAIabhi singhhttps://www.themotivationhandbook.com/2019/01/stories-in-hindi-with-moral.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-63071970432228077262016-11-07T21:24:32.963+05:002016-11-07T21:24:32.963+05:00नीरज जी की कृति को पढ़ने का सौभाग्य मिला। अति उत्तम...नीरज जी की कृति को पढ़ने का सौभाग्य मिला। अति उत्तम लिखते हैं।pramod kharkwalhttp://kadamtaal.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-29022695641459456172011-05-21T00:16:16.372+05:002011-05-21T00:16:16.372+05:00@ रचनाधर्मी निरंतर परिष्कृत होता रहता है और जब वह...@ रचनाधर्मी निरंतर परिष्कृत होता रहता है और जब वह परिष्कृत होने लगता है तो उसकी रचनाओं में निखार आने लगता है। इसी प्रकार स्वरचित रचना को जब कोई रचनाधर्मी बार-बार पढ़ता है तो हर बार कुछ न कुछ सुधार की गुँजाईश पाता है। <br />तिलक राज कपूर जी की इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ. इसके अतिरिक्त ५ बातें और कहूंगा -<br />१- पढाई के दिनों में फिजिक्स से डर लगता था, आज भूल का अहसास हो गया .....अच्छा हुआ साहित्य का विद्यार्थी नहीं रहा ......यहाँ तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा . <br />२. आज ..अभी ..यहीं ....नीरज जी से थोड़ा सा रू-ब-रू हुआ, गज़ब के इंसान हैं नवनीत सा दिल ..कोई भी कायल हो जाय ...मेरा आदाब क़ुबूल कीजिये हुज़ूर ! <br />३- बेनामी से बोध होता है कि एक व्यक्ति जिसका नाम अज्ञात है....कुछ तो बोध हुआ ....तो यह संज्ञा भी वार्ता के लिए पर्याप्त है....सबने पुकारा "बेनामी भाई" तो अब यही इनका नाम है, झगड़ा ख़तम. <br />४- साहित्यकार यदि साहित्यकार न होता तो शायद राजा होता .....साहित्यकार बन कर वह अपने मन का राजा हो गया है. कमाल है ! मन के राजा को अपनी भड़ास निकालने के लिए भी बेशुमार नियमों की ज़रुरत है ! भाव अच्छा हो .......कथन स्पष्ट हो ...भाषा सुबोध हो ताकि सन्देश अपने लक्ष्य तक पहुंचे ......बस हो गया ...और क्या चाहिए ? <br />५- मैं साहित्य का ओलम भी नहीं जानता पर इतनी समझ है कि कि जो सरल-सुबोध नहीं है वह व्यापक भी नहीं है .....देव वाणी संस्कृत में कहाँ दोष है ? किन्तु कितनी व्यापक है आज ? अस्तित्व बचाना मुश्किल है . वेदों के कितने पाठक हैं आज ? आल्हा आज भी गाई जाती है .......न केवल महोबा में बल्कि बिहार में भी सुनी है मैंने. वेदों का सन्देश नहीं पहुंचा लोगों तक पर आल्हा का सन्देश पहुंचा. कारण है सुबोधता. विद्वत जन ! कृपया इन बातों पर भी गौर करने का कष्ट करेंगे.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-17683246806198508982011-02-10T09:21:12.667+05:002011-02-10T09:21:12.667+05:00यहाँ के बेनामी जी तो बड़े ही सभ्य और सुसंस्कृत हैं ...यहाँ के बेनामी जी तो बड़े ही सभ्य और सुसंस्कृत हैं जी। मेरे यहाँ तो बड़े ही दुष्ट और .........टाइप के बेनामी आते हैं। नीरज जी आपकी शायरी बेमिसाल लगी। क्योंकर खार की बातें वाले शेर पर बेनामी जी गलत और आप सही है नीरज जी। पोस्ट बहुत सुंदर थी और इस पर की गई टिप्प्णियों को बहुत संभाल कर रखना चाहिए आय थिंक। दे आर वैरी स्पेशल।किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-45315254089873142452011-01-18T08:48:36.340+05:002011-01-18T08:48:36.340+05:00Neeraj Ko sunne ka awsar Mumbai mein kai baar mila...Neeraj Ko sunne ka awsar Mumbai mein kai baar mila hai, aur har baar unki gazal mein nayi tazgi mili shayad naye pryog mein laye hue kafiyon ka asar hai.<br />भोला कहने से अच्छा है <br />दे दो मुझको गाली प्यारे<br />Yahi unki vinamrata hai yahi unki pehchaan bhi hai.<br />Charcha manch par bahut kuch seekhne ko milta hai..Devi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-86742690610916730022011-01-16T09:19:58.105+05:002011-01-16T09:19:58.105+05:00काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति ।
आपको दिल से बधाई ।
ये ...काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति ।<br />आपको दिल से बधाई ।<br />ये सृजन यूँ ही चलता रहे ।<br />साधुवाद...पुनः साधुवाद ।<br />satguru-satykikhoj.blogspot.comसहज समाधि आश्रमhttps://www.blogger.com/profile/12983359980587248264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-59560428129127634332011-01-04T10:30:41.201+05:002011-01-04T10:30:41.201+05:00डा.सुभाष राय@ नीरज जे की गजलों को पेश करने का बहुत...डा.सुभाष राय@ नीरज जे की गजलों को पेश करने का बहुत बहुत शुक्रिया. एक साथ बहुत कुछ पढने को भी मिल गया और आज मैं नीरज जो को करीब से पढ़ सका.एस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-27127641923151577642010-11-28T23:25:51.773+05:002010-11-28T23:25:51.773+05:00डॉ. सुभाष राय जी...नमस्कारम्!
इस सन्नाटे को देखकर...डॉ. सुभाष राय जी...नमस्कारम्!<br />इस सन्नाटे को देखकर, आज तो यही उद्धृत करना चाहूँगा कि-<br /><br />इंतज़ार एक शाम का नहीं,<br />इंतज़ार उम्र तमाम का है।<br />अब तो मिलता नहीं कोई छोर भी,<br />इंतज़ार है अभी और भी!<br /><br />आख़िर कब तक...? आप तो सिर्फ़ एक माह की बात कह रह थे...है न?जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-17120714085948628742010-10-29T10:26:36.661+05:002010-10-29T10:26:36.661+05:00जो कुछ नज़र पड़ा मिरा देखा हुआ लगा
ये जिस्म का लिब...जो कुछ नज़र पड़ा मिरा देखा हुआ लगा<br />ये जिस्म का लिबास भी पहना हुआ लगा<br /><br />जो शेर भी कहा वो पुराना लगा मुझे<br />जिस लफ्ज़ को छुआ वही बरता हुआ लगा<br /><br />-कुमार पाशी<br /><br />गज़ल के आहंग में नये की तलाश करना बड़ा मुश्किल है..ख़याल,रदीफ़...शब्द-उपमा...शब्द विन्यास सॅज़ोना ...कुमार पाशी जैसे शायर को पुराना या कहूँ बरता हुआ लगा... <br />बस हमें भी कुछ नया ढूँढना है / तलाश करना है / खोजना है...<br />वरना बस पढ़ा जाए !!....जब तक गज़ल कहते नहीं..तो क्यों लिखा जाए..!!<br />मेरा अपना मान ना है शायरी आम लोगों के लिए नही होती..काव्य हमेशा से एक विशेष वर्ग के लिए रहा है..सामान्य के लिए तो वो बस ध्वनि मात्र है...<br />खैर हर बात को तर्क़ की भट्टी मे डाला जा सकता है..उसके बाद कौन देखता है क्या निकला..<br /><br />ऐसा मुझे लगता है<br />-मस्तो..मस्तो...https://www.blogger.com/profile/08018264897378600309noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-27736823614086743202010-10-20T21:02:00.382+05:002010-10-20T21:02:00.382+05:00Neeraj ji ki gazlon tak bahut der se pahunchi .. i...Neeraj ji ki gazlon tak bahut der se pahunchi .. iske liye maafi chahti hun ..<br /><br />Mujhe aaj bhi yaad hai jab main koi 2-3 saal pahle net par aana shuru hui thi aur gazal ki A, B , C , D mein ulajhi hui thi.. tab neeraj ji ki gazlen padh kar bas man karta tha ki kaash ek baar unse baat ho jaaye .. phir lagta tha itne bade shayar hai kyun baat karenge .. kabhi koshish hi nahi kee himmat hi nahi hui ..<br /><br />phir bahut samay baad jab koshish karne ki himmat hui to maine add request ke saath inke blog par comment kiya .. ummeed nahi ki koi positive jawaab bhi milega magar theek ulta hua na sirf jwaab aaya balki sneh bhi mila .. aur pata hi nahi chala ki kab Neeraj ji doston mein shamil ho gaye :-)<br /><br />inki gazlen mujhe hamesha hi pasand aayi hai<br />Sakhi par inhe dekh kar bahut khushi hui ..श्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-84388854107582700452010-10-18T18:29:07.833+05:002010-10-18T18:29:07.833+05:00हम इन्तेज़ार करेंगे उनका क़यामत तक...खुदा करे के क...हम इन्तेज़ार करेंगे उनका क़यामत तक...खुदा करे के क़यामत हो और सुभाष जी आयें...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-74467059680639688202010-10-16T18:45:36.098+05:002010-10-16T18:45:36.098+05:00एक रहस्य पर्दा उठा रहा हूं
डॉ. सुभाष राय जी महाव...एक रहस्य पर्दा उठा रहा हूं <br /><a href="http://nukkadh.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.html" rel="nofollow">डॉ. सुभाष राय जी महाव्यस्त हैं, इसलिए साखी ब्लॉग पर अवकाश है</a>अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-83942876183807808292010-10-16T18:37:09.494+05:002010-10-16T18:37:09.494+05:00मित्रो सुभाष भाई से फोन पर चर्चा हुई। वे कहते हैं ...मित्रो सुभाष भाई से फोन पर चर्चा हुई। वे कहते हैं अभी लगभग महीने भर तो साखी पर अवकाश रखना पड़ेगा, उसके बाद ही वे लौट पांएंगे। पर इतना तय है कि लौटेंगे जरूर।<br />चलिए जब तक हम लोग साखी पर जो कहा और सुना गया है उसे गुनते हैं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-23498339431503648032010-10-16T18:19:59.333+05:002010-10-16T18:19:59.333+05:00मित्रो 'नुक्कड़' पर अविनाश जी से यह जानका...मित्रो 'नुक्कड़' पर अविनाश जी से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि 'साखी' चौराहे के कबीरा यानी सुभाष भाई लखनऊ में 'जनसंदेश' के सम्पादकीय प्रभार को सम्भालने की तैयारी में व्यस्त हैं।<br /><br />हम यह आशा करते हैं कि जल्द ही वे थोड़ा समय निकालकर साखी पर भी लौटेंगे। नई जिम्मेदारियों के लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-78099301272112002982010-10-16T14:14:13.091+05:002010-10-16T14:14:13.091+05:00@राजेश भाई
अगर आपकी यही बात बह्र-ए-रजज के शेर मे...@राजेश भाई <br />अगर आपकी यही बात बह्र-ए-रजज के शेर में कही जाती तो कुछ यूँ:<br />है सब कुशल, ये जानकर, सबको यहॉं, अच्छा लगा<br />सबकी तरफ, से आपका, करता चलूँ, मैं शुक्रिया।<br /><br />गुनगुनाने के लिये याद करें ग़ुलाम अली साहब की गायी ग़ज़ल 'ये दिल ये पागल दिल मेरा, क्यूँ बुझ गया आवारगी।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-80380845833734154822010-10-16T10:10:08.668+05:002010-10-16T10:10:08.668+05:00शुक्रिया सर्वत भाई इस जानकारी के लिए।
जानकर अच्छा...शुक्रिया सर्वत भाई इस जानकारी के लिए।<br />जानकर अच्छा लगा कि सब कुछ कुशल है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-67958242149089860102010-10-16T09:00:09.476+05:002010-10-16T09:00:09.476+05:00साखी निर्माता, निदेशक, कथा-पट्कथा, सम्वाद आदि आदि ...साखी निर्माता, निदेशक, कथा-पट्कथा, सम्वाद आदि आदि वाले डा. सुभाष राय आगरा से लखनऊ आ कर किसी नई भूमिका के निर्वहन में व्यस्त हो गए हैं. अब टिप्पडयों की पोस्ट कब छपेगी,नया कौन होग, ये सब सवाल भविष्य के गर्भ में पडे हुए हैं. सन्नाटे से आप ही नहीं, मैं भी घबराया हुआ हूं लेकिन आस ज़िन्दा है.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-75349425593014953322010-10-15T19:43:05.979+05:002010-10-15T19:43:05.979+05:00इतना सन्नाटा क्यूँ है ?
कितने आदमी थे?
आदमी तो ...इतना सन्नाटा क्यूँ है ?<br />कितने आदमी थे? <br />आदमी तो दो ही थे हुजूर, एक बेनामी और बाकी सब नामी।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-18451859816380360912010-10-15T18:49:08.069+05:002010-10-15T18:49:08.069+05:00चलती चाकी देख के दिया कबीरा रोय,
दो पाटन के बीच म...चलती चाकी देख के दिया कबीरा रोय,<br />दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय.<br /><br />मास्टर साहब हमारी कापियाँ जाँच ली गई हों तो रिज़ल्ट भी बता दें. कल हमारी दिल्ली में छुट्टी थी, दिन भर इंतज़ार करता रहा और आज भी सन्नाटा.. कहीं दुर्गा पूजा की छुट्टी तो डिक्लेयर नहीं कर दी!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-75182395484521443562010-10-15T14:55:14.406+05:002010-10-15T14:55:14.406+05:00तल्ख़ बातों को जुबाँ से दूर रखना सीखिए
घाव कर जाती...तल्ख़ बातों को जुबाँ से दूर रखना सीखिए<br />घाव कर जाती हैं गहरे जो कभी भरते नहीं<br />कमाल का शेर...<br />लाख कोशिश करो आके जाती नहीं<br />याद इक बिन बुलाई सी मेहमान है...<br />बहुत खूब...नीरज जी निसंदेह बहुत अच्छे शायर हैं.<br />और हां, नीरज के घर में बने <br />इतने ’संगीन’ वातावरण के लिए <br />सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं...<br />जिनकी बदौलत उनकी बेहतरीन शायरी दुनिया के सामने आ रही है <br />(हा हा हा)शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-47410151922773790772010-10-15T12:19:34.572+05:002010-10-15T12:19:34.572+05:00कहीं ये शोर से पहले होने वाला सन्नाटा तो नहीं...का...कहीं ये शोर से पहले होने वाला सन्नाटा तो नहीं...काश ऐसा ही हो और खूब सारे पढ़ने वाले आते रहें...साखी को नयी दिशाएं प्रदान करते रहें...मुझे हैरत है के हमारे गुरुकुल के सदस्य यहाँ अपनी प्रतिक्रिया देने नहीं आये...कहाँ हो गुरु भाइयो..आओ और अपनी सुनाओ...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-19302020624434431432010-10-15T11:29:53.450+05:002010-10-15T11:29:53.450+05:00सुभाष भाई आशा है सब कुशल है।
साखी पर यह सन्नाटा ...सुभाष भाई आशा है सब कुशल है।<br /><br />साखी पर यह सन्नाटा कैसा है। शुक्रवार की दोपहर होने को आई। कोई हलचल ही नहीं हो रही। मुझे तो ब्लाग की यह दुनिया भी सन्नाटे से भरी लग रही है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-4171730457627390192010-10-14T13:09:23.840+05:002010-10-14T13:09:23.840+05:00सम्मानिय सुभाष जी!
सम्म्निया नीरज जी !
प्रणाम !
नी...सम्मानिय सुभाष जी!<br />सम्म्निया नीरज जी !<br />प्रणाम !<br />नीरज जी कि ग़ज़लों पे ७६ प्रतिक्रिया पढ़ी ,शायद जो सार्थक बहस कि बजाय टांग खिचाई बन गयी , मैं अपनी प्रातक्रिया स्वरूप मात्र इतना ही कहना चाहुगा कि नीरज के चाँद शेर नए प्रयोग में दिखे , बेहद सुंदर लगी आप कि गज़ले ,<br />सादर !<br /><br />--सुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-37679279771607517012010-10-13T09:40:08.727+05:002010-10-13T09:40:08.727+05:00देर, बहुत देर से आ सका हू. मेरे कहने को बचा ही नही...देर, बहुत देर से आ सका हू. मेरे कहने को बचा ही नही कुछ. फिर भी, आया हू तो कुछ कहना ज़रूरी है. सबसे पहले यह तथ्य कि जब हम किसी रचनाकार पर तब्सिरा करते है तो रचनाके अलावा के एक नज़र उसकी शख्सियत पर भी डालते है. ’नीरज’ गोस्वामी वह शख्स है एक बागो-बहार तबीयत का मालिक है. हर हाल मे मुस्कुरा लेने का हुनर उसे पता है. यह शख्स इतना मासूम है कि गज़ले भेजने मे कोई एह्तिमाम भी नही करता और जो मिला वही भेज दिया. बार बार कह रहा है कि मै सीख रहा हू और उस्ताद नही हू. फिर हमे इस बात को ध्यान मे रखते हुए ही अपने विचार देने थे.<br />दूसरी तरफ़, ’साखी’ जिस मकसद के तहत है, हम उसे भूल कर, बेनामी वगैरह पर केन्द्रित रहे.<br />नीरज भाई की गज़लो पर मुझे सन्तोष है. बहुत कुछ कहा जा चुका है इस लिए इतना ही...बस.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-22484252413285713762010-10-13T08:31:51.748+05:002010-10-13T08:31:51.748+05:00राजेन्द्र स्वर्णकार की टिप्पणी को दुबारा पढ़ा तो स...राजेन्द्र स्वर्णकार की टिप्पणी को दुबारा पढ़ा तो समझ आया कि वे सुभाषभाई के फोन पर बात करने के बड़प्पन के आगे अपना छुटपन दिखाने से भी बाज नहीं आए। तिलकराज जी को भी उन्होंने गरियाया ही है। और उनकी टिप्पणी में तीसरा-कोई-संजीव गौतम हैं। उन्होंने राजेन्द्र की रचनाओं की समीक्षा में कहा था कि दुनिया अधिक लिखने वाले को नहीं, अच्छा लिखने वाले को याद रखती है। <br /><br />कुल मिलाकर यह है कि जिन लोगों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनकी रचनाओं की आलोचना की वे सब उनके निशाने पर हैं। तिलकराज जी ने सही कहा जैसी कृपा मां सरस्वती की उन पर है ऐसी किसी और पर हो भी नहीं सकती। मैं तो प्रार्थना करूंगा कि किसी पर न हो। ऐसी कृपा से मूढ़ रहना भला।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com