tag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post3202818236749389070..comments2023-07-07T15:27:40.554+05:00Comments on समकालीन सरोकार : कभी मेयार से नीचे न गिरना Subhash Raihttp://www.blogger.com/profile/15292076446759853216noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-9151921759109233102015-06-28T09:07:59.626+05:002015-06-28T09:07:59.626+05:00कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम
अगर गिरना ह...कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम <br />अगर गिरना ही पड़ जाये तो चकनाचूर हो जाना.<br /><br />वाह <br /><br />प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-85818703100402425502010-08-13T06:37:45.214+05:002010-08-13T06:37:45.214+05:00कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम
अगर गिरना ही...कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम<br />अगर गिरना ही पड़ जाये तो चकनाचूर हो जाना.<br /><br />-क्या बात कही है...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-10110678567689943772010-08-12T19:09:07.976+05:002010-08-12T19:09:07.976+05:00असलियत में नदीम साहब सच्चाईयों की ऐसी नदी हैं जो ...असलियत में नदीम साहब सच्चाईयों की ऐसी नदी हैं जो कांच की है और गिरने पर चकनाचूर होकर रहेगी पर वो कांच का चूरा, बूरा नहीं है मीठा, वो कड़वा, तीखा और जलनभरा है, तपनभरा है। जब तक जीवन में पोर पोर में इंसानियत नहीं समा जाती, तब तक ...अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-74746503051323561912010-08-12T13:55:17.626+05:002010-08-12T13:55:17.626+05:00डॉ. सुभास राय जी, हमरा त सुरुए से ई मानना है कि बा...डॉ. सुभास राय जी, हमरा त सुरुए से ई मानना है कि बास्त्व में गजल ओही अच्छा होता है जिसपर टिप्पनी नहीं किया जा सके...काहे कि दू लाइन में जो जिंदगी का अनुभब का निचोड़ सायर प्रस्तुत करता है ऊ दू लाइन के टिप्पनी में असम्भब है... नदीम साहब का गजल उनके नाम से हम अपने दोस्त लोग को सुनाकर जेतना बाह बाही बटोरे हैं, ऊ सब बाह बाही 3 इंच बाई 9 इंच का टिप्पनी बॉक्स में लिखना मोस्किल है... हमरे तरफ से नदीम साहब को एक बार फिर सलाम अऊर आपके ई अनूठा प्रयास के लिए धन्यवाद!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-55901110521551000022010-08-12T13:53:40.547+05:002010-08-12T13:53:40.547+05:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-56582409529079264102010-08-12T12:27:24.124+05:002010-08-12T12:27:24.124+05:00भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आता हूँ
कभी ख्वाहि...भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आता हूँ<br />कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते<br /><br />न होते धूप के टुकड़े न मिलता छाँव को हिस्सा<br />अगर पेड़ों पे इतने एकजुट पत्ते नहीं होते<br /><br />अभी पढी हैं और सच कहा उत्साही जी ने हर शेर ज़िन्दगी की सच्चाइयों से रु-ब-रु करवाता है। शायद उनके कहने के बाद कुछ कहने को नही बचता।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-78223399905607743252010-08-12T11:23:12.731+05:002010-08-12T11:23:12.731+05:00कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम
अगर गिरना ह...कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम <br />अगर गिरना ही पड़ जाये तो चकनाचूर हो जाना.<br /><br />वाह ...बहुत सुन्दर ....आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-954846169421193068.post-16961733470683217392010-08-12T10:24:17.242+05:002010-08-12T10:24:17.242+05:00कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम
अगर गिरना ही...कभी मेयार से नीचे न गिरना आइना हो तुम<br />अगर गिरना ही पड़ जाये तो चकनाचूर हो जाना.<br /><br />बड़ी मार्के की बात है<br /><br />साखी को एक बार फिर से आभार| नदीम साहब की गज़ले कमाल की थी| "श्रद्धा जैन" ग़ज़ल में जाना माना नाम है| उनकी गज़लों की भी प्रतीक्षा रहेगी|राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh)https://www.blogger.com/profile/17152336988382481047noreply@blogger.com